उत्तराखंड की शिल्पकला के प्रकार
काष्ठ शिल्प समूचा उत्तराखंड लकड़ी की प्रधानता के कारण काष्ठ-शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। लकडी से पाली, ठेकी, कुमया भदेल, नाली, आदि तैयार की जाती है। राजि जनजाति के लोग इस कार्य में मुख्यत: लगे हुए है। रिंगाल मुख्यतः चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ आदि जनपदों का मुख्य हस्तशिल्प उद्योग है। रिंगाल से डालें, कंडी, चटाई, सूप, टोकरी, मोस्टा आदि बनाये जाते है। जिनका उपयोग घरेलू एवं कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। बांस से सूप, डालें, कंडी, छापरी, टोकरी आदि बनाये जाते है। बेत से टोकरियाँ, फर्नीचर आदि बनाये जाते है। केले के तने तथा भृंगराज से विभिन्न मूर्तियां बनाई जाती है। रेशा एवं कालीन शिल्प राज्य के अनेक क्षेत्रों में भांग के पौधे से प्राप्त रेशों से कुथले, कम्बल (Blankets), दरी (Carpet), रस्सियाँ आदि तैयार की जाती है। पिथौरागढ़ के धारचूला, मुन्सयारी व चमोली के अनेक क्षेत्रों में कालीन उद्योग काफी प्रसिद्ध है। भेड़ों के ऊन से यहाँ कम्बल, पश्मीना, चुटका, दन, थुलमा और पंखी बनाये जाते है। मृत्तिका शिल्प राज्य में मिट्टी से अनेक प्रकार के बर्तन (Pots), दीप (Lamp), सुराही (Flask), गमले (P...